सुदर्शन क्रिया – शक्तिशाली श्वांस तकनीक | Sudarshan Kriya In Hindi

मैंने लगभग सन 2010 के आस-पास सुदर्शन क्रिया का पहला शिविर किया था, तभी से मैं आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था के संपर्क में आयी और आज तक जुडी हूँ, मैंने इसके अन्य शिविर जैसे एडवांस मैडिटेशन प्रोग्राम जिसे साइलेंस प्रोग्राम भी कहा जाता है, सहज़ समाधी आदि जैसे शिविर भी अटेंड किये, ये सभी अपने आप में अद्भुत तकनीकें हैं, जो प्राचीन ज्ञान को व्यावहारिक तकनीकों के साथ जोड़ता है ताकि लोगों को उनकी आंतरिक क्षमता को खोजने और सच्ची खुशी पाने में मदद मिल सके। सुदर्शन क्रिया से जुड़े मेरे अनुभव और जानकारी, ज़रूरी लिंक्स मैं आपसे यहाँ साझा कर रही हूँ।

सुदर्शन क्रिया क्या है ?

सुदर्शन क्रिया, जिसका अर्थ है “शुद्ध क्रिया द्वारा उचित दृष्टि,” एक अद्वितीय श्वास अभ्यास है, जिसमें साँस लेना, साँस छोड़ना और लयबद्ध साँस लेने के पैटर्न का एक विशिष्ट क्रम शामिल है। जिसमें निम्नलिखित चार क्रिया शामिल हैं –

  • उज्जयी प्राणायाम,
  • भस्त्रिका,
  • ॐ का उच्चारण,
  • साँसों की लयबद्ध क्रिया

सुदर्शन क्रिया को ‘द आर्ट ऑफ़ लिविंग हैप्पीनेस प्रोग्राम‘ के नाम से भी जाना जाता है, सुदर्शन क्रिया तकनीक सीखने के लिए आपको 3 से 4 दिन का एक ‘हैप्पीनेस शिविर’ करना होगा, जो गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा सुप्रशिक्षित, आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था (Art of Living) के प्रशिक्षकों, अध्यापकों अथवा गुरुओं के द्वारा ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से आयोजित किया जाता है | हैप्पीनेस प्रोग्राम के दौरान अनुभवी शिक्षकों के मार्गदर्शन में इस तकनीक को व्यवस्थित तरीके से कराया जाता है। (नोट- बिना सीखें इसे करने से बचें ) “सुदर्शन क्रिया” अपने विशिष्ट अभ्यास के माध्यम से एक परिवर्तनकारी अनुभव प्रदान करता है।

सुदर्शन क्रिया का जन्म

सुदर्शन क्रिया का जन्म आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर द्वारा हुआ। श्री श्री रविशंकर एक प्रमुख आध्यात्मिक गुरु हैं जिन्होंने अपने जीवनकाल में आध्यात्मिकता, ध्यान और मानवीय संघर्ष के माध्यम से लाखों लोगों की सहायता की है। सन १९८१ के आस पास जब देश और विदेशों में गुरु जी योग और ध्यान का प्रसार और विस्तार कर रहे थे तब उन्होनें देखा कि हर तरफ़ लोग अशांति, तनाव और अस्वस्थता से झुझ रहे हैं, किसी ऐसी तकनीक की जरूरत उन्हें महसूस हुई जो लोगों को मानसिक, शारीरक और आध्यात्मिक स्वस्थता प्रदान कर सके।

इसी की खोज में उन्होंने भारत के कर्नाटक राज्य के बंगलौर जिले में केंगेरी नदी के पास 10 दिन का मौन धारण किया और ध्यान में उतर कर, उन्होंने सुदर्शन क्रिया को विकसित किया है ताकि लोग आत्मा के साथ जुड़ सकें, मन को शांत कर सकें, और आनंद और समृद्धि को अनुभव कर सकें।

सुदर्शन क्रिया आजकल एक प्रसिद्ध ध्यान तकनीक के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुकी है और लोग इसे आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अपनाते हैं।आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर द्वारा विकसित, इस चमत्कारी क्रिया ने दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को छुआ है, इसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने और स्थायी खुशी पैदा करने के लिए मूल्यवान उपहार के रूप में देखा जा सकता है।

सुदर्शन क्रिया कैसे करते हैं ?

सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएँ, अनुलोम विलोम करें, उससे आपकी दोनों नासिका सक्रिय होती हैं।

3 चरण प्राणायाम (उज्जायी श्वास का प्रयोग करें)
पहला चरण: 4-4-6-2 (8 बार) दूसरा चरण: 4-4-6-2 (8 बार) तीसरा चरण: 4-4-6-2 (6 बार)
हर चरण के बाद 10 सेकंड आराम करें।
भस्त्रिका (सामान्य गहरी सांस का प्रयोग करें)
3 राउंड: 20-20-20
10 सेकंड के लिए आराम करें।
ॐ का जाप
ॐ का 3 बार जाप करें।
सुदर्शन क्रिया
सामान्य श्वास का प्रयोग करें।
3 राउंड: 20-40-40
10 गहरी सांसों के साथ समाप्त करें आराम करें/ ध्यान करें/ 10 मिनट के लिए लेट जाएं।

सुदर्शन क्रिया के बारे में विज्ञान

विज्ञान भी इस बात से सहमत है कि साँसों में इतनी शक्ति है कि उसको लयबद्ध करके शरीर के लगभग अस्सी से नब्बे प्रतिशत विकारों को दूर किया जा सकता है, श्वास ही एकमात्र चीज़ है जो हमें जिंदगी से जोड़ती है।

आपने कभी गौर किया हो तो जब एक नवजात अथवा छोटा बच्चा श्वास लेता है तो उसका पूरा शरीर श्वास लेता है, उसकी नासिका, पेट, छाती सभी अंग श्वास के साथ-साथ लयबद्ध होते हैं क्यूंकि वो गहरी श्वास ले रहा होता है, परन्तु जैसे जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारी श्वास सुकडती जाती है और हम नाभि तक श्वास लेना जैसे भूल ही जाते हैं।

लगातार तनाव और चिंता से भरी दुनिया में व्यस्त होते जाते हैं और अपने मन और श्वास के प्रति लापरवाह हो जाते हैं और स्वस्थ मन और स्वस्थ तन का सीधा संपर्क हमारी श्वास से ही होता है सुदर्शन क्रिया हमें उसी मूलतत्व से जोड़ने का कार्य करती है और आंतरिक शांति और खुशी की ओर ले जाती है।

सुदर्शन क्रिया के लाभ

सुदर्शन क्रिया से होने वाले लाभ इतने अद्भुत हैं कि उन्हें शब्दों में बांधना नामुमकिन है, और आध्यात्मिक जागे में सभी के अनुभव हमेशा दूसरों से पृथक रहते हैं, फिर भी कुछ महत्वपूर्ण लाभ जो सभी को होते रहे हैं, मैं यहाँ लिख रही हूँ –

तनाव से राहत: सुदर्शन क्रिया तनाव प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार हार्मोन, कोर्टिसोल के स्तर को कम करके तनाव को कम करने के लिए वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हुई है। इस तकनीक का नियमित अभ्यास व्यक्तियों को विश्राम और कायाकल्प की गहरी भावना का अनुभव करने में मदद करता है।

बढ़ी हुई भावनात्मक शक्ति: सुदर्शन क्रिया के लयबद्ध श्वास पैटर्न भावनात्मक रुकावटों को दूर करते हैं और लोगों को क्रोध, भय और चिंता जैसी नकारात्मक भावनाओं को दूर करने में मदद करते हैं। इससे एक बेहतर भावनात्मक संतुलन और जीवन की चुनौतियों से निपटने की अधिक क्षमता पैदा होती है।

बेहतर स्पष्टता और ध्यान केंद्रित करना: सांसों में सामंजस्य बनाकर, सुदर्शन क्रिया शांत और मानसिक स्पष्टता की गहन भावना लाती है। अभ्यासी अकसर बढ़े हुए ध्यान, एकाग्रता और बेहतर निर्णय लेने की क्षमताओं की रिपोर्ट करते हैं।

ऊर्जा के स्तर में वृद्धि: सुदर्शन क्रिया का अभ्यास शरीर और मन को पुनर्जीवित करता है, ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और थकान का मुकाबला करता है। यह व्यक्तियों को अपनी दैनिक गतिविधियों को अधिक उत्साह और जीवन शक्ति के साथ करने की अनुमति देता है।

आंतरिक शांति : सुदर्शन क्रिया के दौरान अनुभव किए गए गहरे विश्राम और आत्म-जागरूकता के माध्यम से, व्यक्ति अपने अंतरतम से जुड़ सकते हैं और आंतरिक शांति की स्थिति तक पहुंच सकते हैं। गहन शांति की यह अवस्था जीवन की चुनौतियों के बीच भी शक्ति और स्थिरता का स्रोत बन जाती है।

कुछ शोध परिणाम

हाल के अध्ययनों ने सुदर्शन क्रिया के परिवर्तनकारी प्रभावों पर प्रकाश डाला है, प्रतिरक्षा समारोह को बढ़ाने, तनाव को कम करने, जीवन की संतुष्टि को बढ़ावा देने और नींद की गुणवत्ता में सुधार करने की क्षमता का प्रदर्शन किया है।

बूस्टिंग इम्यून फंक्शन: लिम्फोसाइट्स में 33% की वृद्धि

छह सप्ताह की अवधि में किए गए एक अध्ययन में, सुदर्शन क्रिया का अभ्यास करने वाले प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिरक्षा कोशिकाओं, विशेष रूप से लिम्फोसाइटों में 33% की उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव किया। ये कोशिकाएं संक्रमण और बीमारियों से शरीर की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। निष्कर्ष बताते हैं कि सुदर्शन क्रिया के नियमित अभ्यास में प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की क्षमता है, जो समग्र कल्याण और लचीलापन में योगदान देता है।

तनाव कम करना: सीरम कोर्टिसोल में 56.6% की कमी

हमारे स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती पर तनाव के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता। तनाव प्रबंधन पर सुदर्शन क्रिया के प्रभावों की जांच करने वाले अध्ययनों से प्रभावशाली परिणाम सामने आए हैं। केवल दो सप्ताह के नियमित अभ्यास के बाद, प्रतिभागियों ने अपने सीरम कोर्टिसोल के स्तर में 56.6% की महत्वपूर्ण कमी दिखाई – शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव प्रतिक्रियाओं के लिए जिम्मेदार तनाव हार्मोन। यह इंगित करता है कि सुदर्शन क्रिया तनाव को प्रभावी ढंग से कम कर सकती है, शांत और संतुलन की स्थिति को बढ़ावा दे सकती है।

जीवन संतुष्टि में वृद्धि: केवल एक सप्ताह में 21% की वृद्धि

जीवन संतुष्टि, समग्र कल्याण का एक महत्वपूर्ण घटक, हमारी मानसिक और भावनात्मक अवस्थाओं से बहुत प्रभावित हो सकता है। जीवन संतुष्टि पर सुदर्शन क्रिया के प्रभावों की पड़ताल करने वाले एक अध्ययन में, प्रतिभागियों ने केवल एक सप्ताह के अभ्यास के बाद अपने संतुष्टि स्तर में 21% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। इससे पता चलता है कि सुदर्शन क्रिया में जीवन और समग्र खुशी पर हमारे दृष्टिकोण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की क्षमता है।

नींद की गुणवत्ता में सुधार: नींद की गुणवत्ता को दोगुना करने से भी ज्यादा

गुणवत्तापूर्ण नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। नींद की गुणवत्ता पर सुदर्शन क्रिया के प्रभावों की जांच करने वाले अध्ययनों ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। जिन व्यक्तियों ने सुदर्शन क्रिया को अपनी दिनचर्या में शामिल किया, उनकी नींद की गुणवत्ता में दो गुना से अधिक सुधार हुआ। विश्राम को बढ़ावा देकर, तनाव कम करके, और आंतरिक शांति की भावना को बढ़ावा देकर, सुदर्शन क्रिया अधिक आरामदायक और कायाकल्प करने वाली नींद में योगदान कर सकती है।

सुदर्शन क्रिया, आर्ट ऑफ़ लिविंग हैप्पीनेस प्रोग्राम के एक अभिन्न अंग के रूप में, स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए एक गहन दृष्टिकोण प्रदान करती है। सबूत खुद ही बोलते हैं-प्रतिभागियों ने नियमित अभ्यास के माध्यम से प्रतिरक्षा समारोह में महत्वपूर्ण वृद्धि, तनाव के स्तर में कमी, जीवन की संतुष्टि में वृद्धि और नींद की गुणवत्ता में सुधार देखा है।

ये निष्कर्ष व्यक्तियों को स्वस्थ, अधिक संतुष्ट जीवन जीने के लिए सशक्त बनाने में सुदर्शन क्रिया की परिवर्तनकारी शक्ति को उजागर करते हैं। चाहे आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना चाहते हैं, तनाव का प्रबंधन करना चाहते हैं, जीवन की संतुष्टि में वृद्धि करना चाहते हैं, या नींद में सुधार करना चाहते हैं, सुदर्शन क्रिया समग्र कल्याण की ओर आपकी यात्रा में एक मूल्यवान उपकरण हो सकती है।

कार्यक्रम यात्रा

आर्ट ऑफ़ लिविंग हैप्पीनेस प्रोग्राम केवल सुदर्शन क्रिया तक ही सीमित नहीं है। इसमें कई तकनीकों को शामिल किया गया है, जिसमें ध्यान, योग आसन, संवादात्मक प्रक्रियाएं और व्यावहारिक ज्ञान शामिल हैं जो व्यक्तियों को कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करते हैं।

कार्यक्रम के दौरान, प्रतिभागी जीवंत चर्चाओं, अनुभवात्मक अभ्यासों में संलग्न होते हैं, और प्राचीन दर्शन से अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हैं, जिसका उद्देश्य स्वयं और उनके आसपास की दुनिया की अपनी समझ को गहरा करना है। यह कार्यक्रम व्यक्तियों को ऐसे उपकरणों और तकनीकों के साथ सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है जिन्हें वे अपने दैनिक जीवन में एकीकृत कर सकते हैं, जिससे स्थायी सकारात्मक परिवर्तन हो सकता है।

आर्ट ऑफ़ लिविंग हैप्पीनेस प्रोग्राम, अपनी केंद्रबिंदु सुदर्शन क्रिया के साथ, दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को छुआ है, उन्हें आंतरिक परिवर्तन और निरंतर खुशी का मार्ग प्रदान करता है। इस कार्यक्रम के माध्यम से, व्यक्ति तनाव को प्रबंधित करने, भावनात्मक कल्याण का अनुभव करने, स्पष्टता बढ़ाने और आंतरिक शांति की भावना पैदा करने के लिए मूल्यवान उपकरण प्राप्त करते हैं।

यदि आप आत्म-खोज, आंतरिक शांति और स्थायी खुशी की ओर यात्रा करना चाहते हैं, तो आर्ट ऑफ़ लिविंग हैप्पीनेस प्रोग्राम, सुदर्शन क्रिया के शिक्षण के साथ, सकारात्मकता के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक हो सकता है।

सुदर्शन क्रिया करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें –

https://www.artofliving.org/in-hi/ax

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सुदर्शन क्रिया करने में लगने वाला समय

सुदर्शन क्रिया करने में लगने वाला औसत समय 40 मिनट है।

सुदर्शन क्रिया कैसे करते हैं (Sudarshan Kriya Steps)

सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएँ, अनुलोम विलोम करें, उससे आपकी दोनों नासिका सक्रिय होती हैं।
3 चरण प्राणायाम (उज्जायी श्वास का प्रयोग करें)
पहला चरण: 4-4-6-2 (8 बार) दूसरा चरण: 4-4-6-2 (8 बार) तीसरा चरण: 4-4-6-2 (6 बार)
हर चरण के बाद 10 सेकंड आराम करें।
भस्त्रिका (सामान्य गहरी सांस का प्रयोग करें)
3 राउंड: 20-20-20
10 सेकंड के लिए आराम करें।
ॐ का जाप
ॐ का 3 बार जाप करें।
सुदर्शन क्रिया
सामान्य श्वास का प्रयोग करें।
3 राउंड: 20-40-40
10 गहरी सांसों के साथ समाप्त करें आराम करें/ ध्यान करें/ 10 मिनट के लिए लेट जाएं।

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