कविताएं : अंतर यात्रा | एकांतता | मौन | प्रार्थना | ध्यान

तलाश

अपनी तलाश की राहेंअपनों की तलाश कीअसफलता से हो कर गुजरती हैंजो जाना चाहे उसे जानें देनासहजता से स्वीकार करनाकृतज्ञता व्यक्त करनाअहोभाव से अपनी मंज़िल की तरफ़ बढ़ना !!-मोनिका वर्मा ‘मृणाल’ एकांत में अपने साथ…यदि तुम खुश होना सीख लोतो एक अनछुआ, नवीन आनंदतुमसे झरेगा !!यदि तुम्हारी खुशीकिसी बाहरी वस्तु, व्यक्ति और स्तिथि पर निर्भर … Read more

कविता: ये हवा मुझे अब पागल ना बना सकेगी

Prakriti Par Kavita

ये हवा मुझे अबपागल ना बना सकेगीतुम आओगे तोमुझे ख़बर देने बहुत आयेंगेंकुक उठेंगीं कोयलेंपरिंदें मुंडेर पर जमघट लगायेंगेंबादल परदा करेगें सूरज काफूल खिलखिलाएंगेघटाएं घिर आयेंगींनज़ारे बदल जायेंगेंइसे कहो जाएकिसी दूसरी चौखटजहाँ इसकी दस्तकों सेवहम पाले जायेंगेंये हवा मुझे अबपागल ना बना सकेगीतुम आओगे तोमुझे ख़बर देने बहुत आयेंगें !!-मोनिका वर्मा ‘मृणाल’

फूल पर कविताएं

कविताएं

मैं फूल हूंमेरी भी अपनी इक किस्मत हैकभी प्रेम के इज़हार को डाली से तोड़ी जाऊंगीस्वीकार हुई तो बरसों तक क़िताबों को महकाऊंगीकोई देख-देख मुस्कायेगा मुझकोउसके प्रेम संग मैं भी प्रेम हो जाऊंगीअन्यथा ज़मीन पर पैरों तले रौंदी जाऊंगी। मैं फूल हूंमेरी भी अपनी इक किस्मत हैकभी आस्था का प्रतीक बन डाली से तोड़ी जाऊंगीजगह … Read more

मेरे तो दोस्त भी मेरे दुश्मनों से बद्तर निकले हैं ‘मृणाल’

मोनिका वर्मा मृणाल

सहराओ की तड़प परदरिया प्यास हो जाते हैंधरती की बैचैनी पेआसमां निराश हो जाते हैं ये हुनर हमनशीनी काबाक़ी रहा है फ़क़त क़ुदरत मेंकि देखकर दुःख एक दूसरे कासब हस्सास हो जाते हैं लोग तो बन चुके हैंजेहनी मरीज़ इस जहां मेंये औक़ात आँक करदूर और पास हो जाते हैं भूल चुके हैं कि ख़ुदासुन … Read more

प्रकृति पर कविताएं : मोनिका वर्मा ‘मृणाल’

प्रकृति पर कविताएं

शाम उतरी रहती हैदरीचे में मेरेसूरज मेहमानों की तरहकभी कभी आता हैबहती है एक शीतल नदी यहीं नज़दीकसामने से गिरता झरना नज़र आता हैदरखत ध्यास्थ खड़े हैं चारों तरफआसमां परिंदों की अठखेलियों सेखिलखिलाता हैचाँदनी रात भर नाचती है आँगन मेंचाँद फलक पर मंद-मंद मुस्कुराता हैप्रकृति लुटा रही है खुले हाथों सेमेरी रुह मेरा बदन तमाम … Read more

कविता: प्रेममय हृदय

प्रेममय हृदय कभी किसी वस्तु, जीव, प्राणी या तत्व से घृणा नहीं कर सकता।

मेरी कविताओं से प्रेम करने वाले,यदि मुझसे नफ़रत करेंतो यह उतना ही स्वाभाविक है,जितना ईश्वर से प्रेम करने वालों काउसकी बनाई सृष्टि से नफ़रत करना।असंगत है यहपरंतु शायद इसी असंगति मेंसत्य का बीज छुपा है।कई बार,सृष्टि से प्रेम करते-करतेसृष्टा से प्रश्न करना,रुष्ट हो जाना,यहाँ तक कि उससे विमुख होना भीउदाहरणीय है।रचयिता को पूजना,दीप जलाना,मंत्र पढ़ना,प्रार्थनाएँ … Read more

कविता: आँखें आईना होती हैं वुजूद का

आँखें आईना होती हैं वुजूद का

सुनो,आँखें आईना होती हैं वुजूद काआँखें ही मन का दर्पण होती हैं नातुम ना हँसा करोयूँ झूठी हँसी तस्वीरों मेंमुझमें हुनर है इन्हें पढ़ लेने कातुम तो जानते ही हो नामाना लाज़िमी है महफ़िलों मेंज़रा नाटक भीदरकार है नक़ाबी हो जाना भीभीड़ मेंमगर तुम्हारी आँखें साथ कहाँ देती हैंये मुझसे तो सब कह देती हैं … Read more

मर्द ऐसे ही होते हैं – कविता

‘मर्द ऐसे ही होते हैं’ एक भरे पूरे वृक्ष की डाली परकुछ पंछियों के झुंड मेंअकेली बैठी एक चिड़ियाकतर रही थीनोच-नोच कर अपने पंखज़ख्मी, आंसुओ से भीगीखून से लथपथउसके माथे पर बेबसी थीऔर आँख में टूटी हुई हसरतउसके होठों पर दर्द की आहें थीसरापे में बिखरी हुई शख़्सियतवो ज़िंदगी से हारी थीशायद मुकद्दर की मारी … Read more

बारिश पर कविताएं

बारिश पर कविताएं (1)

सुनो,ये फ़रवरी की बारिशेंये इज़हार का महीनाकुछ कहता है तुमसे भी क्यामौसम ये भीना भीनाझटका है आसमां ने दामन क्याक्या वस्ल को ली है अंगड़ाईयांक्या पैग़ाम है ये जमीन कोमिट जाएंगी तुम्हारी तन्हानियांकोहरे की दुग्धवत पश्मीना शॉल परजो ओस की बूंदों से टंके थेवही मोती हैं क्या ये जमीं परजो कल ओलो की सूरत में … Read more

मोहब्बतें

mohabbat kavita

सुनो,गर तुमको कभी महसूस होंनफरतें मेरे वुजूद सेतो बेशक करनाचाहें बेहद करनामगर करना फिर भी मोहब्बतें…उस वक्त से जो गुज़ारा थाहमने साथ मेंजो बातें तुम्हें पसंद थीतुम उनसे करना मोहब्बतें… कभी-कभी अपनी जेब सेजैसे निकालते हो कलमऔर उसे रखकर भूल जाते होकिसी मेज परठीक वैसे ही रख दिया करनाउठाकर मेरे हिस्से की नफरतेंफिर फ़क़त करना … Read more

Parveen Shakir Shayari Nasir Kazmi Shayari