मणिकर्णिका घाट पर कविता | Hindi Kavita

मणिकर्णिका घाट पर कविता | Hindi Kavita

तृष्णाओं के वशीभूतअचैतन्य मन की ऊहा- पोह कोखींच ले जाती हूं बनारस केमणिकर्णिका घाट तकजहां नग्न मृत्यु नृत्य- मग्नऔद्धत्यपूर्ण तांडव करतीनश्वर जीवन के आडंबर कोअंतिम पड़ाव देतीसमस्त चिंताएं सुख दुःखअग्नि से पवित्र हो कुंदन बनआकाश में विलीन होतीबिना भेद भाव, ऊंच नीचअहंकार, ईर्ष्या के विकारों से स्वतंत्रराजा रंक को एकमार्गी करतेपरोक्ष अमर्त्य देवता… आरंभ अंत … Read more

Parveen Shakir Shayari Nasir Kazmi Shayari