
कुछ ऐसे मैं तुमसे
अपना प्यार जताऊँ
मैं खुश रखूँ तुम्हें सदा
तुम्हारी भी उम्र बढ़ाऊँ
तुम करो सोलह श्रृंगार
मैं टकटकी लगाऊँ
तुम्हें देखूँ हैरान नज़रों से
तुम्हें नज़र लगाऊँ
तुम्हारी मेंहदी भरी हथेलियां
अपनी साँसों से लगाऊँ
चाँद के जल्दी निकलने की
आस आज़ मैं भी लगाऊँ
तुम्हें भूखे प्यासे बैठा देख
मैं भी अनमना हो जाऊँ
तुम्हें पहला घूँट
अपने हाथों से पिलाऊँ
आशीष दूं तुम्हें खुश रहने का
खुश रखने का बीड़ा मैं उठाऊँ
तुम कितनी हो ख़ास
तुम्हें बैठ कर बतलाऊँ
मैं प्रेम की भीनी बारीश में
पल पल तुम्हें नहलाऊँ
मैं भी आरती उतारूँ
मन की देवी तुम्हें बनाऊँ
उम्र के आख़िरी दौर में
कहीं मैं अकेला ना रह जाऊँ
साथ मैं भी चाहता हूँ
आख़िरी सांस तक तुम्हारा
तुम्हारे संग संग रोऊँ
तुम्हारे साथ खिलखिलाऊँ
कुछ ऐसे मैं तुमसे
अपना प्यार जताऊँ
खुश रखूँ मैं तुम्हें सदा
तुम्हारी भी उम्र बढ़ाऊँ !!
-मोनिका वर्मा ‘मृणाल’