काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें, उस बेवफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें।

तुझ से वफ़ा न की तो किसी से वफ़ा न की, किस तरह इंतिक़ाम लिया अपने आप से। 

वफ़ाओं के बदले जफ़ा कर रहे हैं, मैं क्या कर रहा हूँ वो क्या कर रहे हैं।

वो कहते हैं हर चोट पर मुस्कुराओ, वफ़ा याद रक्खो सितम भूल जाओ।

ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक, न लो इंतिक़ाम मुझ से मिरे साथ साथ चल के। 

कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद, याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद।

वफ़ा नज़र नहीं आती कहीं ज़माने में, वफ़ा का ज़िक्र किताबों में देख लेते हैं। 

वफ़ा का लाज़मी था ये नतीजा, सज़ा अपने किए की पा रहा हूँ।

उमीद उन से वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे, जफ़ा भी करते नहीं वो कभी जफ़ा की तरह।

बुरा मत मान इतना हौसला अच्छा नहीं लगता, ये उठते बैठते ज़िक्र-ए-वफ़ा अच्छा नहीं लगता।

किसी तरह जो न उस बुत ने ए'तिबार किया, मिरी वफ़ा ने मुझे ख़ूब शर्मसार किया।

वफ़ा का अहद था दिल को सँभालने के लिए, वो हँस पड़े मुझे मुश्किल में डालने के लिए।

एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला, जाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं।

ये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया, मिरी वफ़ाओं का कुछ तो सिला दिया होता।

जो बात दिल में थी उस से नहीं कही हम ने, वफ़ा के नाम से वो भी फ़रेब खा जाता।

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