कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंगे, समझा न जिसे तुम आंखों से वो बात जुबानी कह देंगे।
तुम्हारे इश्क के रंग ओढ़कर ही मैं खुशनुमा हूं, तुम ही तो हो मुझमें मैं खुद में कहां हूं।
नारजगी चाहे कितनी भी क्यों न हो तुमसे, तुम्हें छोड़ देने का ख्याल हम आज भी नहीं करते।
तुम मुझे कभी दिल से कभी आँखों से पुकारो, ये होठों के तकल्लुफ तो जमाने के लिए है।
मुझे न सताओ इतना की मैं रूठ जाऊं तुमसे, मुझे अच्छा नहीं लगता अपनी सांसों से जुदा होना।
छेडती है कभी लब तो कभी रुखसारों को, तुमने जुल्फों को बहुत सर पर चढ़ा रखा है।
पूछते हैं मुझसे शायरी लिखते हैं क्यों, लगता है जैसा आइना देखा नहीं कभी।
लाख हसीं हैं इस दुनिया में तेरी तरह, क्या करें हमें तो तेरी रूह से प्यार है।
लोगों ने रोज ही नया कुछ मांगा है खुदा से, एक हम ही हैं जो तेरे ख्याल से आगे ना गए
किस तरह छुपाएं अब मैं तुम्हें, मेरी मुस्कान में भी तुम नज़र आने लगे हो।
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