Gray Frame Corner

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है।

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उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो, धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है।

White Frame Corner
White Frame Corner

हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं, मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं।

मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया, इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए।

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ।

Gray Frame Corner
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शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम, आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे।

White Frame Corner
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वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा, मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया।

मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे, मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले।

मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता, यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी।

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बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए, मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए।

मैं मर जाऊँ तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना।

इक मुलाक़ात का जादू कि उतरता ही नहीं, तिरी ख़ुशबू मिरी चादर से नहीं जाती है।