“यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का, वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे”

“जो गुज़ारी न जा सकी हम से, हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है”

“मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस, ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं”

“ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता, एक ही शख़्स था जहान में क्या”

“अब जो रिश्तों में बँधा हूँ तो खुला है मुझ पर, कब परिंद उड़ नहीं पाते हैं परों के होते”

jaun elia shayari

“सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं, और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं”

“मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ, कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से”

“ज़िंदगी किस तरह बसर होगी, दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में”

“बहुत नज़दीक आती जा रही हो, बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या”

“और तो क्या था बेचने के लिए, अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं”

“यूँ जो तकता है आसमान को तू, कोई रहता है आसमान में क्या”

“कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे, जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे”

“शौक़ है इस दिल-ए-दरिंदा को, आप के होंट काट खाने का”

“हम कहाँ और तुम कहाँ जानाँ, हैं कई हिज्र दरमियाँ जानाँ”