हम ज़िंदा तो हैं मगर ज़िंदगी से उकताए हैं
हम ज़िंदा तो हैं मगरज़िंदगी से उकताए हैंसमंदर से पार पाकर साहिल के ठुकराए हैं वो जो रौशन कर रहा हैमहफिलों को गैरों कीहम उसी के इंतज़ार में घर को सजाए हैं कितने पैवंद लगाएं औरइस जिस्म के लिबास परलेकर सिर से पांव तलक ज़ख्मों से नहाए हैं जंतर-मंतर दुआ-इबादतगंडे -ता’वीज़ जादू-टोनाउसको पा लेने का … Read more