कविता: ये हवा मुझे अब पागल ना बना सकेगी

ये हवा मुझे अब
पागल ना बना सकेगी
तुम आओगे तो
मुझे ख़बर देने बहुत आयेंगें
कुक उठेंगीं कोयलें
परिंदें मुंडेर पर जमघट लगायेंगें
बादल परदा करेगें सूरज का
फूल खिलखिलाएंगे
घटाएं घिर आयेंगीं
नज़ारे बदल जायेंगें
इसे कहो जाए
किसी दूसरी चौखट
जहाँ इसकी दस्तकों से
वहम पाले जायेंगें
ये हवा मुझे अब
पागल ना बना सकेगी
तुम आओगे तो
मुझे ख़बर देने बहुत आयेंगें !!
-मोनिका वर्मा ‘मृणाल’

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