मोहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं, चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए।

क्यों मेरी तरह रातों को रहता है परेशान, ऐ चाँद बता किससे तेरी आँख लड़ी है।  

तुम आ गए हो तो फिर चांदनी सी बातें हो, ज़मीन पे चाँद कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है।  

चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है, अक्स किसका है ये इतनी रौशनी पानी में है। 

चलो चाँद का किरदार अपना लें हम, दाग अपने पास रखें और रौशनी बाँट दें।

दिन में चैन नहीं है, ना होश है रात में, खो गया है चाँद भी देखो बादल के आगोश में।

पूछा जो उनसे चाँद निकलता है किस तरह, ज़ुल्फ़ों को रुख पे डाल के झटका दिया उसने।