हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी,
क्यूँ तुम आसान समझते थे मोहब्बत मेरी
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे, मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले।
वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ, मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं, तो यूँ नहीं कि तुझे सोचता नहीं हूँ मैं।
वफ़ा तुम से करेंगे दुख सहेंगे नाज़ उठाएँगे, जिसे आता है दिल देना उसे हर काम आता है ।
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है, कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता।
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं, लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं।
एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है, इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता।
इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से, मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते।
ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थी, मजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी।
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