हम दोंनों ही धोखा खा गए,
हमने तुम्हें औरों से अलग समझा,
और तुमने हमें औरों जैसा।
जब धोखा ही था तुम्हारी मोहब्बत, तो झूठ अपने लबों को कहने दें।
ज़ख्म लगा कर उसका भी कुछ हाथ खुला, मैं भी धोखा खा कर कुछ चालाक हुआ।
धोखा देती है अक्सर मासूम चेहरे की चमक, हर कांच के टुकड़े को हीरा नहीं कहते।
उन्होनें हमें अजमा कर देखा लिया एक धोखा हमने भी खा कर देख लिया।
गैरों ने नसीहत दी और दिया अपनों ने धोखा, ये दुनिया है यहां चाहिए हर किसी को मौका।
किरदार की अज़मत को गिरने न दिया हमने, धोखे तो बहुत खाये धोखा न दिया हमने।
फ़क़त इंसानियत से फिर भरोसा उठ गया मेरा, महज़ एक इंसान था कभी जिसने दिया धोखा।
मैंने दो तरह के लोगों से धोखा खाया है, एक जो मेरे अपने और दूसरे वो जो मेरे बहुत अपने थे।
गलती तेरी नहीं कि तूने मुझे धोखा दिया गलती तो मेरी थी जो मैंने तुझे मौका दिया।
Noor-E-Ghazal Shayari Box Set - Hindi
Learn more
दो लाइन शायरी | Two Line Shayari | 2 line Sher/Shayari
Learn more
Love Shayari
Attitude Shayari
Kumar Viswas Shayari
More Stories
Mahakal Shayari