जो शिद्दत से चाहोगे तो होगी आरजू पूरी,
हम वो नहीं जो तुम्हारे खैरात में मिल जाए।
सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये,
कभी पैरों से रौंदी थी यहीं परछाइयां हमने।
हमारा स्टाइल और एटीट्यूड ही कुछ अलग है, बराबरी करने जाओगे तो भी बिक जाओगे।
अगर प्यार से कोई फूंक मारे तो बुझ जाएंगे हम, नफ़रत से तो बड़े तूफान बुझ गए हमें बुझाने में।
मेरी खामोशी को कमज़ोरी ना समझ,
गुमनाम समंदर ही खौफ लाता है।
जिसे निभा न सका ऐसा वादा नहीं करता,
दावा कोई औकात से ज्यादा नहीं करता।
मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हे याद रखता हूं बातें भूल भी जौन पर लेहजे याद रखता हूं।
थोड़ी खुद्दारी भी लाजमी थी दोस्त, उसके हाथ छुड़ाया तो हमने छोड़ दिया।
जैसे हर सवाल का जवाब नहीं होता वैसे ही हर इंसान हमारी तरह नवाब नहीं होता।
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