मेरे तो दोस्त भी मेरे दुश्मनों से बद्तर निकले हैं ‘मृणाल’
सहराओ की तड़प परदरिया प्यास हो जाते हैंधरती की बैचैनी पेआसमां निराश हो जाते हैं ये हुनर हमनशीनी काबाक़ी रहा है फ़क़त क़ुदरत मेंकि देखकर दुःख एक दूसरे कासब हस्सास हो जाते हैं लोग तो बन चुके हैंजेहनी मरीज़ इस जहां मेंये औक़ात आँक करदूर और पास हो जाते हैं भूल चुके हैं कि ख़ुदासुन … Read more